Friday 27 January 2017

Weight loss technique

*विनासायास वेटलॉस व मधुमेह प्रतिबंधाचा सोपा उपाय*

*तत्त्व:*

*डॉक्टर दीक्षित/जिचकार* सरांच्या या साध्या सोप्या उपायाने शरीरात अतिरिक्त इन्सुलिनची निर्मिति होणे थांबते.त्यामुळे शरीरात पोटासारख्या चुकीच्या ठिकाणी जमा झालेली चरबी ऊर्जा मिळवण्यासाठी वापरली जाते.त्यामुळे पोट व वजन कमी होते. या उपायामुळे शरीर इन्सुलिनला अधिक संवेदनशील बनते व त्यामुळे मधुमेह होण्याची शक्यता कमी होते किंवा मधुमेहाचा प्रतिबन्ध होतो.

*परिणाम: *

वजन कमी होते, पोट कमी होते, मधुमेहाचा प्रतिबन्ध होतो किंवा त्याची शक्यता कमी होते.

१) हा उपाय किंवा आहार योजना अठरा वर्षाखालील मुलांसाठी तसेच मधुमेहाच्या रुग्णांसाठी नाही *(मधुमेहाच्या रुग्णांनी डॉक्टर दीक्षित सरांशी संपर्क साधावा व त्यानी परवानगी दिली तरच हा उपाय अमलात आणावा)*

२) तुम्हाला खरी कड़क भूक केंव्हा लागते त्या दोन वेळा ओळखा. त्या दोन वेळानाच जेवण करा. ह्या वेळा व्यक्तिनुसार वेगवेगळ्या असू शकतात. सामान्यपणे सकाळी ९ व संध्याकाळी ६ किंवा दुपारी १ व रात्रि ९ अश्या भुकेच्या वेळा असतात.  प्रत्येक जेवणासाठी तुम्हाला जास्तीत जास्त ५५ मिनिटांचा वेळ उपलब्ध आहे. या वेळात तुम्हाला जे खायचे ते तुम्ही खाऊ शकता. 

३) या दोन जेवणाच्या व्यतिरिक्त जर भूक लागली तर खालील पदार्थ हवे तेवढे घेऊ शकता:

      अ) पातळ ताक  (हवे असल्यास चवीसाठी मीठ, जिरेपुड टाकू शकता)

      ब ) २५% दूध व ७५% पाणी वापरून बनवलेला बिन साखरेचा चहा *(शुगर फ्री, मध, गुळदेखील नको)*; ग्रीन टी/ब्ल्याक टी देखील चालेल  

      क) लिम्बु पाणी (विना साखरेचे)

      ड) नारळ पाणी (शहाळ्यातील मलई  खाऊ नका)

      इ) टोमॅटो (जास्तीत जास्त १) 

      ई) काकड़ी तसेच ताकात किसून काकड़ी किंवा संत्र्याचा रस हे पदार्थ घेण्याची परवानगी नाही *(आमच्या नविन संशोधनामुळे असा बदल करण्यात आला आहे...)*  

४)  एकदा जेवणाच्या  वेळा ठरल्या की त्या वेळानाच जेवा. पंधरा वीस मिनिटे वेळ मागे पुढे झाले  तर चालते पण खूप बदल करू नका.

५) बाहेर गावी जाणे किंवा लग्न आदी समारंभ असे काही असल्यास त्या दिवशी तुम्ही या डाइट प्लॅनला सुट्टी देऊ शकता! दुसरया दिवसापासून लगेच प्रामाणिकपणे डाइट प्लान चालू करा. 

६) दररोज ४५ मिनिटात ४.५ किलोमीटर चाला. हा व्यायाम आठवड्यातून पाच दिवस तरी करा.(हृदयाची गति वाढवणारा कोणताही व्यायाम करू शकता.)  

७) हा उपाय सुरु करण्याच्या पहिल्या दिवशी खालील गोष्टी करा:

     अ) सकाळी पोट साफ झाल्यावर वजन करा. नंतर दर महिन्याला त्याच वजन काट्यावर त्याच पद्धतीने वजन करा.  

     ब) बेम्बिपाशी पोटाचा घेर मोजा. दर महिन्याला पोटाचा घेर मोजा.

     क) पैथोलोजी ल्याबमधे जाऊन उपाशिपोटची रक्तातील इंसुलीनची पातळी *(fasting insulin level)* तपासून घ्या. ही तपासणी दर तीन महिन्यांनी परत करा. 

      ड)  पैथोलोजी ल्याबमधे जाऊन एचबीएवनसी *(HbA1C)* तपासून घ्या. ही तपासणी दर तीन  महिन्यानी परत करा.

८) तुमचे योग्य वजन असे काढ़ा: तुमच्या सेंटीमीटर मधिल उंचीतून १०० वजा केले म्हणजे तुमचे कमाल वजन तुम्हाला कळेल. हे तुमचे जास्तीत जास्त वजन असायला हवे. उदाहरणादाखल, एखाद्याची ऊँची १७० सेमी असेल तर त्याचे जास्तीत जास्त वजन ७० किलो असायला हवे.

९)जर या आहार योजने चे अवलंबन केल्यावर आपणास फायदा झाला तर दुसऱ्यांनाही या आहार योजनेत सहभागी होण्यास सांगा व "स्थूलत्व
आणि मधुमेह मुक्त     भारत"   अभियानात सामिल व्हा.

या आहार योजनेमुळे व साध्या उपायाने  खालील चार फायदे होतात:

१) वजन कमी होते 

२) पोटाचा घेर कमी होतो 

३) एचबीएवनसी  (HbA1C) कमी होते 

४) उपाशिपोटची रक्तातील इंसुलीनची पातळी (fasting insulin level ) कमी होते

** म्हणून या उपायाने आपल्याला काय फायदा होत आहे हे कळण्यासाठी वजन आणि पोटाचा घेर दर महिन्याला मोजा तर एचबीएवनसी (HbA1C) आणि उपाशिपोटची रक्तातील इंसुलीनची पातळी (fasting insulin level ) दर तीन महिन्याला मोजा.

Monday 16 January 2017

खांसी में कोफी का प्रयोग

*⚫》 खांसी में स्टेरॉयड का भी बाप है कॉफ़ी का ये प्रयोग*
⚫⚫⚫⚫⚫⚫⚫⚫
● क्या आपको अक्सर ही खांसी लगी रहती है ?
क्या आपकी खांसी बहुत पुरानी हो चुकी है ?
क्या बार बार दवा लेने के बाद भी आपकी खांसी नहीं जा रही ?

⚫और आप दवा ले ले कर परेशान हो गए हो तो अभी ये जो फार्मूला हम बताने जा रहें हैं ये खांसी के मामले में स्टेरॉयड का भी बाप है. स्टेरॉयड कोई दवा नहीं होती ये डॉक्टर तब दिए जाते हैं जब कोई दवा असर ना करे. और स्टेरॉयड शरीर के लिए बेहद हानिकारक है. इस नुस्खे के बारे में हम ये भी बताना चाहते हैं के अनेक आधुनिक डॉक्टर भी इस का रिजल्ट देख कर चकित हो गए हैं. तो आइये जाने ये बेहतरीन नुस्खा.

*⚫》इस प्रयोग में आवश्यक सामग्री.*

▪  एक कप बनी हुयी फीकी काली कॉफ़ी (बिना दूध और चीनी के)
▪ दो चम्मच शहद
▪ दालचीनी – एक चुटकी (इच्छा अनुसार)

*⚫》इसके उपयोग की विधि*

⚫एक कप गर्म कॉफ़ी में दो चम्मच शहद अच्छे से मिला लीजिये. अब इस कॉफ़ी को धीरे धीरे घूँट घूँट कर पीजिये. यह प्रयोग दिन में दो बार कीजिये. सुबह और शाम को. पुराने से पुरानी और किसी भी प्रकार की खांसी इस प्रयोग के कुछ दिन करने से छू मंतर हो जाती है.

*☆☆ हो चुके हैं शोध.*

⚫कफ की समस्या वाले 97 रोगियों पर यह प्रयोग किया गया जिसमे इतना चौंकाने वाले रिजल्ट मिले के कई मल्टी नेशनल फार्मा कंपनियों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ गया. इस ड्रिंक को और शक्तिशाली बनाने के लिए आप इसमें चुटकी भर दालचीनी का पाउडर भी डाल सकते हैं.

⚫आपके सु स्वास्थ्य की कामना रखते हैं. आप जब भी ये प्रयोग करें तो हमको अपने रिजल्ट एक हफ्ते के बाद ज़रूर बताएं. वैसे तो आप पहले ही बता देंगे क्यूंकि ये रिजल्ट ही इतना जल्दी देता है.

*● विशेष जब भी खांसी हो तो ये प्रयोग आजमा लिया कीजिये. आज के बाद कभी खांसी की कोई दवा तुरंत ना लें. पहले ये प्रयोग कर के देख ले.*

संकलन : Dr. Hitesh Karia

Wednesday 4 January 2017

तेल के गण :तिल का तेल

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*पृथ्वी का अमृत.. तिल का तेल...*

( 5 मिनिट का समय निकाल कर पोस्ट को जरूर पढ़े )

यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं. क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है.
और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे.
तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. प्रयोग करके देखें.... आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा... लेकिन... अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये.. 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों को पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है. तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है.
और तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है. तब उसे किसी भी कंपनी का तेल खरीदने की आवश्यकता ही नही होगी. तिल खरीद लीजिए और किसी भी तेल निकालने वाले से उनका तेल निकलवा लीजिए. लेकिन सावधान तिल का तेल सिर्फ कच्ची घाणी (लकडी की बनी हुई) का ही प्रयोग करना चाहिए.
तैल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है "तिल का तेल".
तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए आयुषधि का काम करता है.. चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है. यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता.
सौ ग्राम सफेद तिल 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम है।
काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।
तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।
तिल में विटामिन  सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है।
इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते। ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।
तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाता है।
यह कब्ज भी नहीं होने देता।
तिलबीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व,जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं।
तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।
सीधा अर्थ यह है की यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप के बीमार होने की संभावना ही ना के बराबर रह जाएगी. जब शरीर बीमार ही नही होगा तो उपचार की भी आवश्यकता नही होगी. यही तो आयुर्वेद है.. आयुर्वेद का मूल सीधांत यही है की उचित आहार विहार से ही शरीर को स्वस्थ रखिए ताकि शरीर को आयुषधि की आवश्यकता ही ना पड़े.
एक बात का ध्यान अवश्य रखिएगा की बाजार में कुछ लोग तिल के तेल के नाम पर अन्य कोई तेल बेच रहे हैं.. जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा. ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें. यह काम थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है किंतु पहली बार की मेहनत के प्रयास स्वरूप यह शुद्ध तेल आपकी पहुँच में हो जाएगा. जब चाहें जाएँ और तेल निकलवा कर ले आएँ.

तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड (mono-unsaturated fatty acid) होता है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रोल को कम करके गुड कोलेस्ट्रोल यानि एच.डी.एल. (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। यह हृदय रोग, दिल का दौरा और धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) के संभावना को कम करता है।
कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है-
तिल में सेसमीन (sesamin) नाम का एन्टीऑक्सिडेंट (antioxidant) होता है जो कैंसर के कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ है और उसके जीवित रहने वाले रसायन के उत्पादन को भी रोकने में मदद करता है। यह फेफड़ों का कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करता है।
तनाव को कम करता है-
इसमें नियासिन (niacin) नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
हृदय के मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है-
तिल में ज़रूरी मिनरल जैसे कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है।
शिशु के हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है-
तिल में डायटरी प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों के हड्डियों के विकसित होने में और मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। उदाहरणस्वरूप 100ग्राम तिल में लगभग 18 ग्राम प्रोटीन होता है, जो बच्चों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
गर्भवती महिला और भ्रूण (foetus) को स्वस्थ रखने में मदद करता है-
तिल में फोलिक एसिड होता है जो गर्भवती महिला और भ्रूण के विकास और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
शिशुओं के लिए तेल मालिश के रूप में काम करता है-
अध्ययन के अनुसार तिल के तेल से शिशुओं को मालिश करने पर उनकी मांसपेशियाँ सख्त होती है साथ ही उनका अच्छा विकास होता है। आयुर्वेद के अनुसार इस तेल से मालिश करने पर शिशु आराम से सोते हैं।
अस्थि-सुषिरता (osteoporosis) से लड़ने में मदद करता है-
तिल में जिन्क और कैल्सियम होता है जो अस्थि-सुषिरता से संभावना को कम करने में मदद करता है।
मधुमेह के दवाईयों को प्रभावकारी बनाता है-
डिपार्टमेंट ऑफ बायोथेक्सनॉलॉजी विनायक मिशन यूनवर्सिटी, तमिलनाडु (Department of Biothechnology at the Vinayaka Missions University, Tamil Nadu) के अध्ययन के अनुसार यह उच्च रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ इसका एन्टी ग्लिसेमिक प्रभाव रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को 36% कम करने में मदद करता है जब यह मधुमेह विरोधी दवा ग्लिबेक्लेमाइड (glibenclamide) से मिलकर काम करता है। इसलिए टाइप-2 मधुमेह (type 2 diabetic) रोगी के लिए यह मददगार साबित होता है।
दूध के तुलना में तिल में तीन गुना कैल्शियम रहता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन बी और ई, आयरन और ज़िंक, प्रोटीन की भरपूर मात्रा रहती है और कोलेस्टरोल बिल्कुल नहीं रहता है। तिल का तेल ऐसा तेल है, जो सालों तक खराब नहीं होता है, यहाँ तक कि गर्मी के दिनों में भी वैसा की वैसा ही रहता है.
तिल का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर आप महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।
तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।
जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।इससे मर्दानगी की ताकत मिलती है!
Compiled by :
Dr. Hitesh Karia.

Monday 2 January 2017

Allocation of income in your life

Hi friend send you simple concept for new year resolution, If possible follow it in 2017.

Financial planning.
1. 30 % of your income must be used for monthly living expenses.
2. 30% of your income must be used for Liabilities repayments
3. 30% of your income must be SAVED for your future LIVING.
4. 10% of your income must be spared for entertainments, vacations………..
5. 6 moth monthly income must be available for emergency fund { LIQUID FUND }, it can be CASH or cashable investments
6. Home loan must be registered and apply on both husband and wife name. { Both can get benefits on Home loan Tax benefits }
7. Buying second house for investment is not advisable [ Survey reports - it will fetch you only around 3% return]
8. After age 45 years not supposed to enter into any BIG LIABILITIES [ Higher education of children and wedding of children will happen around 45 to 50 only ]
9. Joint account is compulsory @ Bank savings account.
10. Property must be registered on both Husband and wife name. [ As per legal act – after husband first legal heir is wife, after wife it will go to children only ]
11. Regular check on Nominations at all financial instruments
12. Only in insurance policy, Claims payable to Nominee. In other financial instruments legal heirs certificate is must to get back the settlement
13. 2 months salary must be parked on LIFE INSURANCE POLICY [ it’s a universal thumb rule on insurance ]
14. Don’t take any financial investment decisions by EMOTIONALLY
15. MEDICLAIM is must [ in spite of Group mediclaim coverage given at office [ After retirement there is no mediclaim coverage. After 50 years its very tough to enter into mediclaim ]
16. For your jewelry LOCKER, Only one lakh is payable by bank, if theft or fire happen at bank. Provided insurance done.
17. Like same way Government guaranteed only one lakh for your FD also. [ Fixed deposits with Banks upto Rs. 1 lakh only are backed by deposit insurance ]
18. Must know all tax implications. You cannot avoid paying tax. But you can minimize by way of investments.
19. All financial documents must be kept safely.
20. Financial investments must be followed through personal financial advisor.
21. Review your financial port folio by every three month.

Make advance plan today and continue from tomorrow with 3rd day of 2017. All the best.
Compiled by :
Dr. Hitesh Karia.